संगीता सिंह री कवितवां

गीत
चमचा री ख्यात
अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
अर या छै म्हारो सौकए करूँ दंडौत ढोक।।
       अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
जो पो होवे भगवावादी, म्हूं भी तलक लगवाऊँ।
जो वो लेवे मांसमदिरा, म्हूँ बोतल भिजवाऊँ।।
       अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
दल बदलूँ, पार्टी बदलूँ, देख ऊँका लक्खण।
कस्यो भी मौको म्हूँ ना छोडूँ खूब लगाऊँ मक्खण।।
       अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
जीं सै ऊँकी नहीं बणै म्हूँ भी उनै दकाळूँ।
ऊँका चमचा, ऊँका प्यारा, ऊँका कुत्ता पालूँ।।
       अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
फरलू मारूँ, गोत मारूँ, टी. ए., डी. ए. भरवाऊँ।
गेल्यो देवे पूरी डूटी फेर भी एल लगवाऊँ।।
       अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
कागज पै जो काम बढ़ावै, नोट, सप्पो ऊ कमावै।
या पंचवटी जो भी गावै, भवसर्विस तर जावै।
        अफसर का इसारा पै नाचूं, यो छै म्हारो सौक।
***

व्याख्याता (अंग्रेजी विभाग)   
राज. जा. दे. ब. कन्या महाविद्यालय
कोटा (राज.)

4 टिप्‍पणियां:

  1. good satire on system. in very simle n sweet words u expose whole system

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  2. sangeeta ji chammchcho ri mahima mandan ghani chokhi kari,ghani chokhi rachanna...bahoot hi sunder ,..jari rakhe ..best of luck

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  3. संगीता सिंह जी री कविता पै’ली बार बांची १
    जोरदार व्यंग्य है !
    बधाई !

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