अशोक जोशी री कवितावां

थांरी आंगळी
घणौ
अबखौ व्है
सारी उमर
बचपण सूं
बुढ़ापै तक
थांरी आंगळी
पकड़्यां चालणौ
कई बार
मारग पांतर्यौ
डांडी पकड़ी
रिंधरोही में भटक्यौ
छेवट
हुयौ
पगां ऊभौ
***

काळ री छियां
सै सूं पैली
दीठी
काळ री छियां
मां रै हाचलां रै ठौड़
उगियोड़ै
सूखोड़ै खालड़ा में
तद ई तो
वा
दबाय दी ही
होठां बीचै
एक बीटड़ी
जिण में व्हैतौ
एक दो टपको
सै

दिन-दिन
सालो-साल
बसाळै पछै
काळ री आ छियां
पसरती ई गी
रसोई सूं
घर रै आंगण
खेतखलियांणगांव
तालाबकूवौबेरी
अर
टांका तक

आं अबखायां रै दिनां
राज खोल देवै फेमिन
तालाब खुदावण
सड़क ठावण रै मिस
पण
तपतै तावड़ै
ऊभराणै पगां
रेतो ढोवता
काकड़ी कूटती वेळा
सूखता होठां रै पाण
घणी याद आवै
वा बीटड़ी
जिण में व्हैतो
एक दो टपको
सै
***

तिड़कण लागौ गांव
जद सूं
राजनीति री भणाई
भणण लागौ है गांव
तद सूं
रूंख-रूंखड़ौ
खेज-खेजड़ौ
रेत-रेतौ
मोर-मोरियौ
काग-कागलौ
दोगळी भासा में
भुसण लागौ है गांव।

जद सूं
राजनीति री अटकळां
अटकावण लागौ है गांव
तद सूं
तीन-पांच
नऊ-दो
तूं-तां
फां-फूं
धां-धूं
थूं-थूं
थूक-फजीती में
अटकण लागौ है गांव।।

जद सूं
राजनीति री कुटळायां
काढ़ण लागौ है गांव
तद सूं
ठर्रौ-सराब
केसर-गुलाब
देसी-परदेसी
डोडा-अमल
भांग-चरस
बीड़ी-सिगरेट
अंधारै री कुडालियां में
कुटीजण लागौ है गांव।

जद सूं
राजनीति री ताकड़ियां
तुलण लागौ है गांव
तद सूं
कुम्हार-लुहार
माळी-हाळी
जाट-भाट
जाटव-यादव
एस.सी.-एस.टी.
ओ.बी.सी.-अल्पसंख्यक
जात-पात री आंच में
तिड़कण लागौ है गांव।

अबै तौ
राजनीति रा थोर रोप्यां
उरभाणौ ऊभौ है गांव
अर
अमूझै
घुटीजै
कळपै

धोब-धोबा
लोही रा आंसू
रोवै है गांव।
***


थारौ पतियारौ
थारौ पतियारौ
पत्तै सूं रळकतै
ओस री बूंदां रौ
गुलाब माथै ठैरणो।

थारौ पतियारौ
हथळेवा री मैंदी
रंग-रस रौ
हथेळियां माथै राचणौ।

थारौ पतियारौ
छूवता पाण
छुई-मुई रै पौधा रौ
खुदौ-खुद में सिमटणौ।

थारौ पतियारौ
भोमियाजी रै थान
खिली धूप री साख में
अेकी रौ आखौ अंवारणौ।

थारौ पतियारौ
धजा रा लीरा नै
टोकार सूं बचण सारू
कलाई माथै बांधणौ।
***

सुपनां
सुपनां
टाबरां रा रमतिया
साब रै झाग रा ढब्बू
बायेरै में बणै
बायरै में इज फूटै
जदकै उणां में व्है
सांतू रंग
इन्द्रधनुस रा
***

थांरौ परस
थांरौ परस
नाडी रै पाणी में
फैंकिया कांकरो
गै रै में बंधियोड़ी
लैहरां रौ खुलणौ

थांरौ परस
सूरज री
पैली किरण सूं
डूंगर माथै
बेरफ रौ मुळकणौ

थांरौ परस
मेह में भींजती
पैलीपोत री
माटी री सौंधी-सौंधी
सौरभ रौ मैहकणौ
***

गजल-1
काल  आज  रौ सांच राखजै
वानी   खीरै   आंच राखजै।

कागद  नवौ लिखण सूं पैला
जूना  कागद  बांच राखजै।

अेक न  सातूं भव  री  लागै
सखरी इण भव जांच राखजै।

बचियोड़ा  टाणा  है  कितरा
हाथ  थोड़कौ  खांच राखजै।

मिनख  मांयलै  माणस सारू
पारस  जैड़ौ  कांच  राखजै।

कोरे   भाटै   कद   पीसीजै
सिल्ला  लोडी  टांच राखजै।
***

गजल-2
पग-पग माथै फूल सजाया
थै  सैंजा  सूं  हेटै  आया।

खुम  जावैला  कांटौ  कोई
उभराणै  जे  बागां  आया।

जौं ता जौं ता बांटां थां री
राता-राता  नैण  जगाया।

माया नै  चमकावण  सारू
काया रै  क्यूं दाग लगाया।

आ  जिंदगाणी चरमर जैड़ी
चूकै  तौ  चौरासी  भाया।

कद  आवैला  सासरिया सूं
माईत  थांरा जीव डुलाया।
***

कीं नैनी कवितावां
पुताई
भांत-भांत री
पुताई सूं ई
झांकै है
बंट्योड़ौ घर।
***

पलेतण
घोषणा-पत्र
मतां री रोटियां
बेलण रौ
पलेतण ।
***

परजा-1
नाजोगी
गाढ़बायरी
शिखंडी
जिकी
वयस्क मताधिकार री
ओट सूं
कोरा
तीर चलावै
अड़वा माथै ।
***

परजा-2
एड्स री
मांदगी सूं
मांदी
जिण में
निठग्यौ
प्रतिरोधक
सगती रौ हकार ।
***

आखर
बळबळता
आंसू
गाल रै
कागद माथै ।
***

कविता
अमूझतै
आखरां रौ
भूं-भूं
रोवणौ ।
***

वै
वै कीं दिन
फेरी फिरै
पछै तौ सालौसाल
एक खूंटै बंधियोड़ा
कोरी हरी चरै ।
***

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Text selection Lock by Hindi Blog Tips