मंडाण
राजस्थानी कविता संचयन / संपादक- नीरज दइया
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रामेश्वरदयाल श्रीमाली री कवितावां
आदमी :
छापो
आज रो आदमी
भारी भरकम
रफ-प्रिंट पर छप्यो
ताजो छापो है
वो सैं क्यूं बतावै
सगळी दुनिया री खबरा
ब्योरैसर
साफ-साफ
बड़ै चितरामां समेत
कीं साच
अर घणी अतकळां
पण खुद रै बारै में
कीं कोनी कैवै
कदे ई नीं कैवै !
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