तिरस म्हारली है बैसाख
थांरै कनै चमन री दाख
म्हारै कनै प्रीत री साख
थां रो जोबन मदभरियो
म्हारी कुचमादी है आंख
थे हो शीतळ सरवरियो
है म्हारै हंसां री पांख
थे हो झिरमिर सावणियो
तिरस म्हारली है बैसाख
श्याम सूं नीं प्रीत करी जे
पाळ्यो-पोख्यो जोबन खाक.
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बिंधग्या सो मोती
मांय सूं उघाड़ा, फ़ीच्यां पै धोती
भू जायी पोती पण बिंधग्या सो मोती
अधमरिया दोघड़, उछाळ करै मोकळी
बोबाडै जितणी जो, उतणी बा थोथी
समंचार मरिया रा आगूंच त्यार है
जावै जे कूकती, जावै जे रोती
करम अर धरम मांय मन री परधानता
मन ही तो गंगा है, मन ही गंगोती.
कुओ अठी, बठी नै खाई
सेवा करी जै बरसां तांई
भांग रै भाड़ै जासी कांई ?
मौत लिलाड़ी लिखा’र ल्याया
कुओ अठी, बठी नै खाई
मूंड मुंडाता ओळा पड़ग्या
निरभागी के कर लै लाई
मजबूरी में हुया मोडिया
प्रीत प्रभु में कोन्या आई
धन-धणियापो मैल हाथ रो
आछी कीरत श्याम कमाई.
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ghani khamma !
जवाब देंहटाएंshyam jee re achchi kavita lagi , aachchi oliya saaru shyam jee ne ar bhanavan saaru neeraj bhai saa ne sadhuwad ,