सांवरा..!
ठाकुरद्वारै
सज्जायोडा है छप्पनभोग
भांत-भांत री थाळ्यां में
न्हाया-धोया
पीताम्बर दुसालो ओढ्यां
मुळकै है ठाकुरजी भगवान..!
बठैई पगोथियां स्यूं कीं अळघी
अधनागी सी मैला घाबा में
सूकी हांचळां चूंटतै
नागै टाबरियै नै
गोदी मांय टंगायां
उभी है
भूखी तिस्सी भूख
कांई ठा कद स्यूं..!
ऐ सैनाण तो नीं हा
म्हारै गिरधर नागर रा
कठैई
राणोंजी तो नीं आ बिराज्या है
ठाकुरद्वारै..?
***
हूंस
माटी रै धणी रो हेलो
अर चातकडै री तिरस देख
थ्यावस नीं राख सकूं म्हूं
बरफ दाईं जमणै री
ओळौ नीं,
बणन दे म्हानै
बिरखा री छांट,
माटी मांय रळतां
जकी
तिरस री पीड ल्यै बांट
काळजां ठण्ड बपराणो चांवूं
ठण्डो होवण स्यूं पैली..!
माटी रै धणी रो हेलो
अर चातकडै री तिरस देख
थ्यावस नीं राख सकूं म्हूं
बरफ दाईं जमणै री
ओळौ नीं,
बणन दे म्हानै
बिरखा री छांट,
माटी मांय रळतां
जकी
तिरस री पीड ल्यै बांट
काळजां ठण्ड बपराणो चांवूं
ठण्डो होवण स्यूं पैली..!
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