सी. एल. सांखला री कवितावां

मिनख
कुदरत की सब सूं स्यानदार
रचना होर बी
बणबो चावै छै
हर कोई
न जाणै कांई-कांई... ?
बणबो चावै छै
कोई मिंतरी
कोई संतरी
कोई पंडा
कोई मुल्ला
कोई पोप
कोई पादरी
हर कोई
बणबो चावै छै
नेता
कोई अभिनेता
कोई मास्टर
कोई डाक्टर
कोई लायर
कोई मेयर
कोई राइटर
कोई फाइटर
न्ह जाणै क्यूं
बणबो चावै छै
कोई धनवान
कोई बलवान
कोई नौकर
कोई जोकर
कोई खिलाड़ी
कोई जुगाड़ी
कोई गनमेन
कोई चेर मेन
होबो चावै छै
कोई नामी
कोई गिरामी
कोई ग्यानी
कोई संत
कोई महंत
पण
आ जाणर म्हनै
घणो इचरज होवै
कुदरत की
सबसूं स्यानदार
रचना होर बी
क्यूं न्ह बण्यो रैहबो चावै
कोई मिनख......!
***

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