श्याम महर्षि री कवितावां

कविता
कविता
नींद री गोळी नीं....
नीं है बा
गोली बंदूक री !
कविता
म्हारै मन री खुराक है
पांवड़ै रौ पड़ाव है
म्हारी कविता !
कुण जाणै औ पडाव
म्हारी जिंदगाणी रै
पूरण विरांम सूं
कीं न्यारौ- अलगौ है.
बठै तांई पूगणै खातर
मन्नै करणा पड़ै
कीं सवाल
जिण रौ उथळौ
इण मुलक नैदेवणौ है.
***

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