मोहम्मद सद्दीक री कवितावां

गीत
,-बाबा थारी बकरयां बिदाम खावै रे ।
ऐ-चरगी म्हारो खेत, सरे आम खावै रे ॥
बाबा थारी बकरयां, बिदाम खावै रे ।।

कीडी़नगरै नगर बसायो,ढोल दियो ढमकाय ।
राजा हुकुम दियो हाकम नै,घर-घर लागी लाय ॥
धरम-करम रा कमधजिया,हराम खावै रे.....
बाबा थारी बकरयां, बिदाम खावै रे ।।

भूखी भेड भचीडा़ खासी,चोर भखारी भरसी रे ।
गोदा चरसी खडै़ खेत नै,गाय अखोरा करसी रे ॥
मिनख-=मारणी काळ चिड़यां,गोदाम खावै रे ....
बाबा थारी बकरयां, बिदाम खावै रे ॥

मन माटी रा,तन सोनै रा,मिनखां-बरणी सार ।
चोपड़ रमणी जूण मिनख री,गई मिनख नै हार ॥
गांव-रुखाळा बासी मुंडै,राम खवै रे......
बाबा थारी बकरयां, बिदाम खावै रे ।।

सुण,धण,बात कात ली पूणीं,डोरै नै मत ताण ।
न्याय रो माथो मत कर नीचो,देख ताकडी़ काण ॥
सांची बात बतावणियां तो,डाम खावै र ......
बाबा थारी बकरयां, बिदाम खावै रे ।।
***

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Text selection Lock by Hindi Blog Tips