नारायणसिंह भाटी री कवितावां

प्रेम
रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
मीठौ मद सूं
हठीलौ पवन सूं
चंचळ पलकां सो
लाज सो लजीजौ
खोड़ीलौ है भंवर भंवरां सो
भोळौ है अचपळौ है ।
धन है मन रौ
सिंणगार जीवण रौ
मन-आंख्यां रौ ओखद
पण आंधौ है ।
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
पण मंहगौ है ।
***

कवि कीट्स नै फेरूं पढ़िया
कालै ही म्हैं कीट्स नै
पाछौ पढियौ
म्हनै लागौ
कै एक पळ री जिंदगी में
लाख बरस जिया जा सकै है
अर लाख बरसां रौ इतिहास
एक पल रौ इतिहास है

पण इण पल रो खिंवण1
लाख बरस लग तपियोड़ै
लोही री कांठळ हेठै
कदै कदास ही
मावटी2 मींट टिमकारै ।
***
(1 बिजळी सी चमक : 2 माह महीने री बिरखा )

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