भानसिंह शेखावत री कवितावां

कांई पूछैलो बाबा !
आटै-दाळ रो भाव जाण लियो, और कांई पूछैलो बाबा ।
मंहगाई री बातां करां तो, काळजियो धूजैलो बाबा ॥

मोडा-नेता मंत्रबाज सहै, परजा ऊपर फूंक मार रया ।
तूं भी कोई अफंड रचालै, सगळो जग पूजैला बाबा ॥

संसद ऊपर गोळी चालै, बाथरूम में लुक ज्यावैला ।
हत्यारा हलुओ खावैला, तूं बिरथा कूकैलो बाबा ॥

लाधड़ियै में रहणो है तो, हां जी, हां जी कहता जावो ।
बात सांचली कह गेरी तो, तेरो गळो टूंपलो बाबा ॥

जे कोई मिलग्यो सांड आबखो, अहड़ी लात लगा देसी ।
धरम-करम धूळ में रळसी, जमलोकां पूगैलो बाबा ॥
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