कीं दूहा
खो मत जीवण, वावळी, डूंगर-खोहां जाय।
मिलण पुकारै मुरधरा, रम-रम धोरां आय॥
नांव सुण्यां सुख ऊपजै, हिवड़ै हुळस अपार।
रग-रग नाचै कोड में, दे दरसण जिण वार॥
आयी घणी अडीकतां, मुरधर कोड करै।
पान-फूल सै सूकिया, कांई भेंट धरै॥
आयी आज अडीकतां, झडिय़ा पान'र फूल।
सूकी डाळ्यां तिणकला, मुरधर वार समूल॥
आतां देख उंतावळी, हिवड़ै हुयो हुळास।
सिर पर सूकी जावतां, छूटी जीवण आस॥
मिलण पुकारै मुरधरा, रम-रम धोरां आय॥
नांव सुण्यां सुख ऊपजै, हिवड़ै हुळस अपार।
रग-रग नाचै कोड में, दे दरसण जिण वार॥
आयी घणी अडीकतां, मुरधर कोड करै।
पान-फूल सै सूकिया, कांई भेंट धरै॥
आयी आज अडीकतां, झडिय़ा पान'र फूल।
सूकी डाळ्यां तिणकला, मुरधर वार समूल॥
आतां देख उंतावळी, हिवड़ै हुयो हुळास।
सिर पर सूकी जावतां, छूटी जीवण आस॥
सोनै सूरज ऊगियो, दीठी वादळियां।
मुरधर लेवै वारणा, भर-भर आंखडिय़ां॥
सूरज किरण उंतावळी, मिलण धरा सूं आज।
वादळियां रोक्यां खड़ी, कुण जाणै किण काज॥
सूरजमुखी सै सूकिया, कंवळ रह्या कमळाय।
राख्यो सुगणै सुरज नै, वादळियां विलमाय॥
छिनेक सूरज निखरियो, विखरी वादळियां।
चिलकण मुंह अब लागियो, धरा किरण मिळियां॥
छिन में तावड़ तड़तड़ै, छिन में ठंडी छांह।
वादळियां भागी फिरै, घात पवन गळबांह॥
आठूं पोर अडीकतां, वीतै दिन ज्यूं मास।मुरधर लेवै वारणा, भर-भर आंखडिय़ां॥
सूरज किरण उंतावळी, मिलण धरा सूं आज।
वादळियां रोक्यां खड़ी, कुण जाणै किण काज॥
सूरजमुखी सै सूकिया, कंवळ रह्या कमळाय।
राख्यो सुगणै सुरज नै, वादळियां विलमाय॥
छिनेक सूरज निखरियो, विखरी वादळियां।
चिलकण मुंह अब लागियो, धरा किरण मिळियां॥
छिन में तावड़ तड़तड़ै, छिन में ठंडी छांह।
वादळियां भागी फिरै, घात पवन गळबांह॥
दरसण दे अब वादळी, मत मुरधर नै तास॥
आस लगायां मुरधरा, देख रही दिन रात।
भागी आ तूं वादळी, आयी रुत वरसात॥
कोरां-कोरां धोरियां, डूंगां डूंगां डैर।
आव रमां ऐ वादळी, ले-ले मुरधर ल्हैर॥
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