एक दीवो
आज म्हैं
दिन में
सूरज सागै सगपण करियो है
आज म्हैं
रात में
एक दिवो जगायो है
सुणो
अंधारै अर आंधी नै
सनोसो कर दीजो !
दिन में
सूरज सागै सगपण करियो है
आज म्हैं
रात में
एक दिवो जगायो है
सुणो
अंधारै अर आंधी नै
सनोसो कर दीजो !
***
छेकड़ कैवणो ई पड़ियो
ओळभा देवती आई आंधी
आछै-आछां रा
माजना भांडिया
जडां समेत उखाड़
चित नाख्या
आ देख
रहीज्यो कोनी
दूब सूं
छेकड़ कैवणो ई पड़ियो-
कांई करै तो कर लै खांगी
हे देख, आ ऊभी म्हैं ।
***
सूरज : अभिमन्यु
जलम्यो गीगो
अगूण-आंगणै हरख
सूरज : अभिमन्यु
भेदण आगै आयो
मिजळै मौसम रो रच्यो
पोह-माघ रो धंवर-चक्रव्यूह
जूझै ऐकलो
अर
जूझ्यां ई जावै
म्हैं देखूं-
आभो साफ
चौफेर तावडो : हरख उजास
मुळकै सूरज : अभिमन्यु !
***
जद देखूं
जद देखूं
धरती नै
इयां ई फंफेड़ीज्योड़ी देखूं
जद देखूं
आभै नै
इयां ई टेंटीज्योड़ो देखूं
अबै
ठौड-ठौड कठै कूकतो फिरूं-
आ धरती म्हारी मां !
औ आभो म्हारो बाप !!
***
ऊभो तो हूं
हां SS
ठीक है
आज अठै
पंछीड़ा कोनी आवै-गावै
कोनी फूटै कूंपळ कोई
ना लागै फूल-फल
पण
इयां तो ना बाढो
ठूंठ हूं तो कांई
कदैई तो
अठैई हुया करतो
स्सो कीं : फूल-फल-पत्ता
आया करता पंछीडा
गाया करता गीत
ठीक है
आज ऐकलो हूं
पण बगत री मार झेलतो
ऊभो तो हूं !
***
("हुवै रंग हजार" कविता संग्रै सूं)
"हुवै रंग हजार" री कवितावां कविता कोश में देखो
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उडणो : जीणो चिडी आवै’र कैवै पींजरो : मौत थे बांचो पोथा म्हारै नांव करद्यो ढाई आखर इत्तो अळघो ओळूं डोर सूं बंध्यो कितो नैड़ो म्हैं ! आ रेत रोसै मां है मां, देखो लाड आ रेत पोखै जमीं सूं जुड़ सूरज कानी देख हां, तूं ऊंचो आ सांम्है स्सै साचा कदैई ओलै-छांनै परखो म्हांनै आडो तो खोलो भोर बीनणी लाई उजास-हांती | रोजीना फाटै उमर-डायरी सूं सांस रो पानो गाभां में ओपां ओप दियां पैली थै- उतारौ गाभा ! पंख काट’र हेत सूं कैवै म्हांनै- औ आभो थांरो ! पोत़डां कूड़ो पण बातां करुं म्हैं- डोल-जळ री पैली दडूकै सांम्है मंडै कोई तो ऐ करै छेरा ! मुळ्कूं आज होठ रैवै नीं रैवै कांई ठा काल तावड़ो आछो म्हांरै पगां तो पड़्या छीयां में छाला |
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