जतन
जोड़
आखर सूं आखर
घड़ूं सबद
ओळख रा
इण झाझै जतन
कदास
बचाय सकूंला
पड़ती मोळी
म्हारी साख
प्रीत
कविता
अर धरती.
जोड़
आखर सूं आखर
घड़ूं सबद
ओळख रा
इण झाझै जतन
कदास
बचाय सकूंला
पड़ती मोळी
म्हारी साख
प्रीत
कविता
अर धरती.
***
उळथो
हरियल पानां
काठ तणै री सोभा
अंतस पीड़ रो
रूप संजीवण
उळ्थो ओ
रूप रो सरूप में
उळथो
हरियल पानां
काठ तणै री सोभा
अंतस पीड़ रो
रूप संजीवण
उळ्थो ओ
रूप रो सरूप में
***
नीं जाणै क्यूं ?
आखै सैर में
पसरग्या समचार
गाभण रात
कर’र कूख खाली
नुंवै जलम्यै झांझरकै नै
छोडगी एकलो
नीं जाणै क्यूं ?
नीं जाणै क्यूं ?
आखै सैर में
पसरग्या समचार
गाभण रात
कर’र कूख खाली
नुंवै जलम्यै झांझरकै नै
छोडगी एकलो
नीं जाणै क्यूं ?
***
घुळ्गांठ
नीं खुली
थारै झाझै जतनां
उळ्झ्योड़ी
प्रीत री घुळ्गांठ
जाणै
जड़-चेतन री ग्रंथी
रची
स्रिस्टी रै सरुपोत में
आपां दोवूं मिळ’र ई
घुळ्गांठ
नीं खुली
थारै झाझै जतनां
उळ्झ्योड़ी
प्रीत री घुळ्गांठ
जाणै
जड़-चेतन री ग्रंथी
रची
स्रिस्टी रै सरुपोत में
आपां दोवूं मिळ’र ई
***
थारी भोळावण
सुपनां रै रंगां राच्योड़ी
बणी-ठणी थूं
कद बदल लियो भेख
ठाह ई नीं पड़ी
म्हैं तो अजैं ई ऊभो हूं
सागी भेख लिया
सागी उडीक
थारी भोळावण पाण
थारी भोळावण
सुपनां रै रंगां राच्योड़ी
बणी-ठणी थूं
कद बदल लियो भेख
ठाह ई नीं पड़ी
म्हैं तो अजैं ई ऊभो हूं
सागी भेख लिया
सागी उडीक
थारी भोळावण पाण
***
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