सत्यप्रकाश जोशी री कवितावां

जोशी जी री आ फोटू कवि नंद भारद्वाज रै मारफत मिली, आभार
जुद्ध अर कवि
जुध छिड़तां ई सगळां सूं पैलां
कविता मर जावै

कठण पयोधर सूं कसमसता
सैल घमोड़ा नै झेलण री सीख दिरावै
तरवारां री बात करै केसां सूं डरता
सीस हथेळी माथै धर दौ / प्राण वार दौ
लोही सूं सींचौ धरती नै / मातभोम री देस-देव री
हीमत री, वीरत री बातां चालण लागै
कवि बण जावै अपरूप जिनावर जंगळी
जुध छिड़तां ई सगळां सूं पैलां 
कविता मर जावै।

देस-भगत री भगती सूं ईं कोनी चालै काम
जुध रौ के कविता रौ / मौत परायां री रढ़ियाळी
अपछर जैड़ी रूपवती है / कवि रै तौ ई जोगी कोनीं
कविता कोनी जुद्ध / जुद्ध में कविता कोनीं
कविता कोनीं बिड़दावण में 
कायर सूरां रा बखांण में
कविता कोनी है मरियोड़ां रा जस गावण में

जुद्ध मिनख सूं आगै बधग्यौ है मसीन में
जुद्ध देस रौ न्यूतै है सगळां देसां नै
मिनख, लुगाई, टाबर, पंछी, रूंख, जिनावर,
पाणी, पून, अकास, जुद्ध में मिट जावै
जीवण तौ बुझ जावै जग रौ सौ बुझ जावै
आखी दुनिया बण जावै निरवंसी
औ भूगोल बदळ जावै
इण कारण कविता है जुध री अलख पीड़ में
सांचा कवि नै फगत जुद्ध री करुणा सूझै
जुद्ध रमै है जूंण मरण रौ रास
जूंण री जीत, मरण री मौत / सदा वांणी में गूंजै
जुद्ध-विराम हुयां रै पैलां

(पल भर पैलां) / जिकौ सिपाही मर जावै है
जिकौ जुद्ध नै मारै, सांयत कर जावै है
वौ कवि व्है है
कविता री सौरम नै जग में भर जावै है।

बोल भारमली
(लांबी कविता रौ अंस)

म्हैं कुण हूं?
प्रीत रा पुस्करजी रै पावन पगोथियै
फागणिया हथेळियां ऊग्योड़ा
लीीला जंवारा बोळावती गिणगोर?
कै चांद री इमरत डोळियां रै ऊपरवाड़ी
बरसता मेघां ज्यूं ढळती
माटी री तीतर-पांखी सौरभ झिकोर?

म्हैं कुण हूं?
इतिहास री खड़्ग-लेखणी सूं
रगत-मसी में सींवां बदळता भूगोल रा
अडोळा चितराम री खांडी कोर?
के रंगसाळ में चितारियोड़ी
ऊभी आंगळियां सांनी करती
कुळ बहुवां रै डाबर नैणां झरती
भाटा री नागी पूतळी रा लेवड़ा री लोर?

म्हैं कुण हूं?
तोड ज्यूं उछेरी म्हनै धोरां जैसळमेर
झैकाई बाळू रेत / बड़ री साख बांधी
सिणगारी सोनलियै गिरबांण / गोरबंध कबडाळां;
नीरी नागरबेल, / तौ ई बाजती नळियां
बिछड़गी झौक सूं कतारियां रै देखतां-देखतां !

पाळिया वासक म्हैं / मनड़ा रै रोहिणी द्रुमां
रतन-कचोळां ईसका पय पायौ
डाढां डसायौ कंवळो काळजो
विस री गहळ बितायौ 
रांमतिया-रमतो बाळापण

सूंघती चंपा री चौथी पांखड़ी
पूगी बागां मंडोवर रै
चरती आफूनी रा फूल हिरणी ज्यूं
सोई मेहूड़ां री छांव / गुळक्यारां फाळ सांध्या
इमरत कर पीवी म्हैं / रवि-जळ री छळ-छौळां!

बदळौ चुकायौ यूं
अजांण्या मावीतां रै पाप रौ,
धुतकारां, ओझाड़ां, संताप रौ,
अणसमता हांचळ चूंघ्या दूध,
फाटै गाभां री / गांठ घुळी निरधनता,
हटक रै होड़ां दियै जोबन रौ,
रोक-टोक रमता रूप रौ,
बचपण रौ, / मेहणा री बोली रौ,
नारी निबळी रौ, / गोली रौ

जोबन रै कामरूप बादळां री रींझ
टहूकी जोधांणै टेकरियां लाल सिहरां
मोर ज्यूं पांखां रा छतर तांण!
पण देख पगां सांम्ही / ढळकाया आंसूड़ा
कोट-कोट कांगरै-कांगरै

तनवन राज कियौ जोबन सादूळां
सरवर री पाळ
मदगहळी गजगांमण सूं करी चूक
कुंभ नै विदार गजमोती लिया काढ
मान कियौ धणियाणी,
मांणी तौ राज-सेज मौजां बस म्हैं मांणी

हिंगळू ढोलिया रै बादळ पथरणै
जठै-जठै म्हैं फेरिया पसवाड़ा
उठै-उठै बिगसिया फूल / रातराणी, चंपा,
गुलाब रा / अर सपनां रै समदर तकियै
जठै-जठै ओसरिया मोती नीरद-नैणां
उठै-उठै भरग्या / पीछोळा, बाळसमंद, आनासागर!

तरणापै अंतेवर अंकमाळां
भीमळ-नयण मारग नीहाळती 
प्रीत री पुरवाई रा संदेस री
कुरळाई रत-पंखी कुरझड़ ज्यूं
तिरसी हूं, तिरसी हूं
सेवट उडगी सरवर रै ईरां-तीरां
जोड़ी सूं जुड़ण / मनड़ा रै कोटड़ै

गोली बण भावन रची भाटियां री
राणी बण रंग दियौ राठोड़ां
झोरावा गाया कोटड़िया रा
संपूरण नारी ज्यूं

म्हैं कुण हूं?
जिणरै कूं-कूं पगल्यां री खोज
खोज गईगाळ खाय
ओठै-ओठै हालती कुळबहुवां
सतियां के राणियां !

म्हैं कुण हूं?
बाघाजी रौ जस-अपजस
हिवाळां ऊंचो, ऊंडो महराणां?
कविता कोटड़िया री
अरथां, संकेतां, सबदां परबारी?
परोकी प्रीत? / नेह गाढा मारू रौ?
बिना हाथ हथळेवौ? / गांठ बिना गंठजोड़ौ?
बिन सावा परण्योड़ी? / जलमी कठै, पाळी कुण
किणरौ म्हैं घर मांड्यौ ?
आडी ज्यूं समाज री

म्हैं कुण हूं? / सरीरां असरीरी?
नांव जात कुळ बिहूणी
क्रौंच पाखी आद कवि री?
चंडाळी? / खंडाळी / रूप री बणजारण 
बडारण जोबन री? / आदण ईसका रौ 
रेख कै हथाळी री / लीक सूं टळियोड़ी 
उछाळौ दबियोड़ी माटी रौ?

ध्याव सुरसत नै, सिमर गणपत जद
मांडोला छंदां-अछंदां
सबदां में बांधोला प्रीत री कथा कोई
बरणोला नारी नै / थे ई बतावोला पीढियां नै
कुण हूं म्हैं, / भासा रा भावी कविसरां !
 ***

उपज
आ उपज !
सौ-सौ गुणी बध ।

आ, धरा सूं, गिगन सूं,
नित कळ-मसीनां सूं
मिनख रै बुकियां रो, मन-मगज रो जोर लै
विग्यांन नै इण कांम गाड़ी जोत
कर दै कनक मूंघी रज
आ उपज ! सौ-सौ गुणी सज !

म्हे गिणां संख्या अरब मैं
सब अरब हां पां
पांच मूंढा जीमवा नै,
पांच तन, सुख पोखवा नै
ब्स अरब हां पांच ।

पण है हाथ म्हारा दस अरब
दस अरब पग है, पंख है
अर ग्यांन रा घर दस अरब

चीज रै लारै फिरै जद चीज री कीमत
आ उपज
सौ-सौ गुणी बध ।
***

जगण रो गीत
मींच आंखड़ियां, कर अंधारो
मत अंधारो सहो
जागता रहो
ताकता रहो
जागता रहो ।
सपनां रो राजा चंदरमा, इमरत पी मर जसी
सोनां री जागीरां खोकर सै तारा घर जासी
छिण में उठसी रैणादे रा काळा पड़दा
चन्नाणां री किरणां सूं ठगणी छिंयां डर जासी
नवी जोत में राख भरोसो
नवी कहाणियां कहो
जागता रहो

सीटी रो सरणाटो बाजै, मील मजूरी चालां
खेतां में पंछीड़ा बोलै, हळ रा ठाठ संभाळां ।
हाट हटड़ीयां खोलां, इसो जमानो पाळा ।
ऊगै है सोना रो सूरज
मत आळस में बहो
जागता रहो ।
***

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