छेती
काल ही आज भी है
चुंच ने दाना
बीचे मोकळी
चुंच भागे
पान्ख्या फटकार
दाना साम्ही
न जोगी पून
फैंक दे और आगे
दाना चुंच री
पकड़ स्यु
पान्ख्या रो थाकनो
तपते तावड़े हांफ्नो
दाना रेसी कद ताई
सुपने रो सुवाद
छेती आज भी है
ही काल भी
बा दाना / बा मुहडा
जिका भेलप में है
एक दूजे री
पण
खावने स्यु पेल्या
मुहडा भिन्चिजे /तनीजे
एक दूजे साम्ही
मिनक्या ज्यू
खावे नी /ढ़ोल दे
दाना चोफेर /चोगड़ दे
कुण जाणे /स्यापित है
दाना /चुंच /मुहंडा
छेती काल भी ही
आज भी है
दाना /चुंच बिचाले
***
सुण बर्बरीक
जद जद लड़सी
धरती जाया
सुवारथा रा नरमेध
चाइजसी बाने
सचे झूट री /झूटे साच री
गवाही रा
छल छंद
तोड्सी लड़ाया तेवड नीया
रिश्ते रा सिगला तागा
पोमासी तन्ने
बलिदान रे समचे
देह त्याग सारु/काट लेसी
थारो सिर
टिका देसी ऊँचे डूंगर री
टेकरी माथे
ऐ नरमेध लड़ाका
ख्प्या पाछे मानखो
पुछ्सी आय तन्ने
संच रो सबूत
ओ सिग्लो नरमेध
टिक्यो है थारे कटे
सिर री गवाही माथे
सुण बर्बरीक
***
सर्रर्र्डका
(1)
साच
के सोच
गाजर आली
पुंगी
थारे हाथ
धिके जीते धिका
नीं तोड़ खा
(2)
आण बस
डांफे चढ़यो
क्यू आंख्या फाड़े
आ तो सदाई हुवै
लुंठै रो डोको
डांग फाड़ै
(3)
बाल्यो बासती
सेकन नै सिट्टा
चाब्या पेली सिलग गयो
गांव
राख़ में / राम कुचरा
(4)
नीं तपे तेज
ढकिज गयो आभो
काली पिळी रेत स्यु
आन्धारो हड हड हँसे
सूरज सिंझ्या पेली
थक्ग्यो
(5)
बाजे अन थक ढोल
गावे गीत कागला
अबे जीमसी
जमानो एकठो
टूट गया राम्तिया
रम्या पेली
***
डांखळा
(1)
गणेशजी रो बेटो हूँ सिमर के गणेशजी
उन्दरा ने लाडू देवू मेटन कलेश जी
थोड़ा थारा थोड़ा म्हारा
पोत उघाडन ने हारा
सुरसती ने भेंट है ऐ डंखला भालेस जी
(2)
ग्यान रो गुमारीयो हुया करता भाई जी
आखे दिन हांडता चिड़ता भोजाई जी
ढेलो नीं कमावता
ठाला बैठ्या खावतां
हथाया में बैठ बैठ ऊमर गमाई जी
(3)
नानी आलो धन पायो नित राड़ी छोगलों
बिना बातया राड़ रोप ओग लियो चोख्लो
रोज राखे घोचो
सोच रो हो ओछो
मावे क्यां में बापरो घिंटयाल हुयो फोगलो
(4)
साहब सूं सपनै में डरतो बाबू सुंदर तेलियो
बूट कोनी बाढ्तो मोकलो ही कैय लियो
डूजो कान धरियोड़ो हो
मांय लो मरियोड़ो हो
चरासण सुं जूत खाय रिटायर्मेंट लेलियो
***
बारै दुर्गन्ध मांय अमुझो
बारै दुर्गन्ध मांय अमुझो बंद करसी के खोलसी
जंग लाग्योड़ा ऐ दरुजा चर्ड़क चू तो बोलसी
कूड़े कथ स्यूं न्याय मिलैला
झूट रै कांटे साच तुलैला
न्याय रै आँख्या जद तक पटी
ताकरिया तो डोलसी जंग ......
ठडे सूं से ठाकर बनसी
बिना बात री मुन्छ्या तनसी
लूंठा री आ करड लड़ाई
जहर प्यालिया घोलसी जंग.......
धोला पिला गाभा धारया
पान करै मिनखा नै मारया
तने समझ के चोखो चारो
जाड बिचालै रोलसी जंग.......
समो बण्यो इसो कलिहारो
निबलो जीवे बैच जमारो
लूंठा डोको देय परा अब
नितरी छाती छोलसी जंग.....
***
भाटो भाटो भोमियो
भाटो भाटो भोमियो किण किण स्यूं डरू
किण रे चो डा बाकला किण रे पगां पडू
ठग ठाकर एखठा सींग तोल ऱ्या
दादोजी रै मुहं काका पीतर बोलऱ्या
बारलै भाचिडा टूटे दरूजा ऐ सहेर रा
सोधा टांगी बांस माथै लो आली पोलर्या
झोड़ रा झापिड लागै खुले म्हारे डील ने
कुमानसा रै बीच कई जबतो करू भाटो...
धोलती धिन्गानी फोज माजने ने पाड़ रेई
अड़वा भरोसे खेत खाय पूरो बाड़ रेई
नींद स्यूं नीं ओझकै किरसा री कोमड़ी
भींत नै भाचीड़ देय भीड़ पलो झाड़ रेई
पोतड़ा में पोत जावे किण री काण करू भाटो .....
लूट री है छुट अठै मच रेई रोल डट
गुलगुला उछाल देख चीला झंपे चटपट
भोपा री पंचायती ब्याव नै बिगाड़ नाख्यो
भानजा रे ब्याव में मासिया री सटपट
भैंस चुंगै बछड़ा पाडिया अरडावै है
बाळ दियो किसे ठिये च्याननो करू भाटो......
उजला तो कालमस आँख में खुबै
जोर कोनी पग्थ्ल्या कंकर चुभै
चालने तो चाल्ल्यु हद तोड़ डील री
पगा री रुखाली आला जुतिया खुबै
पैंडे री नीं थाह आँख्या में अंधारो है
पिंडी थक धूज रेई हंप्तो फिरू भाटो.......
***
हलू गलू रे भाई
हलू गलू रे भाई हलू गलू पुरो समदर तिन चलू
चुके मत चोहान लुट ले ओ सारो गुड गलू गलू
राम्तिया रिम्झोल करै बस साख बधावै पाटा री
बण निसरमा की नीं सोचै मन में फसतै फांटारी
दोया पासी डाम सामने बोल भायला कठै बलू हलू....
मारे पण रोवन नीं देवै मुहंडे पटी चेप परी
म्हारा बनगै म्हारा बेली बे म्हारे में भली करी
आगै भींत नै लारै गोधा बोल भायला कठै टलू हलू...
सालू सटै भैस मारदै बैच माजनो रात्यू रात
उंदर जान आपाने गटकै सिग्ली आ मिनक्या री ज़ात
ऐ बुगला साधू बन डोलै खाय माछली करै चलू हलू....
**
काल ही आज भी है
चुंच ने दाना
बीचे मोकळी
चुंच भागे
पान्ख्या फटकार
दाना साम्ही
न जोगी पून
फैंक दे और आगे
दाना चुंच री
पकड़ स्यु
पान्ख्या रो थाकनो
तपते तावड़े हांफ्नो
दाना रेसी कद ताई
सुपने रो सुवाद
छेती आज भी है
ही काल भी
बा दाना / बा मुहडा
जिका भेलप में है
एक दूजे री
पण
खावने स्यु पेल्या
मुहडा भिन्चिजे /तनीजे
एक दूजे साम्ही
मिनक्या ज्यू
खावे नी /ढ़ोल दे
दाना चोफेर /चोगड़ दे
कुण जाणे /स्यापित है
दाना /चुंच /मुहंडा
छेती काल भी ही
आज भी है
दाना /चुंच बिचाले
***
सुण बर्बरीक
जद जद लड़सी
धरती जाया
सुवारथा रा नरमेध
चाइजसी बाने
सचे झूट री /झूटे साच री
गवाही रा
छल छंद
तोड्सी लड़ाया तेवड नीया
रिश्ते रा सिगला तागा
पोमासी तन्ने
बलिदान रे समचे
देह त्याग सारु/काट लेसी
थारो सिर
टिका देसी ऊँचे डूंगर री
टेकरी माथे
ऐ नरमेध लड़ाका
ख्प्या पाछे मानखो
पुछ्सी आय तन्ने
संच रो सबूत
ओ सिग्लो नरमेध
टिक्यो है थारे कटे
सिर री गवाही माथे
सुण बर्बरीक
***
सर्रर्र्डका
(1)
साच
के सोच
गाजर आली
पुंगी
थारे हाथ
धिके जीते धिका
नीं तोड़ खा
(2)
आण बस
डांफे चढ़यो
क्यू आंख्या फाड़े
आ तो सदाई हुवै
लुंठै रो डोको
डांग फाड़ै
(3)
बाल्यो बासती
सेकन नै सिट्टा
चाब्या पेली सिलग गयो
गांव
राख़ में / राम कुचरा
(4)
नीं तपे तेज
ढकिज गयो आभो
काली पिळी रेत स्यु
आन्धारो हड हड हँसे
सूरज सिंझ्या पेली
थक्ग्यो
(5)
बाजे अन थक ढोल
गावे गीत कागला
अबे जीमसी
जमानो एकठो
टूट गया राम्तिया
रम्या पेली
***
(1)
गणेशजी रो बेटो हूँ सिमर के गणेशजी
उन्दरा ने लाडू देवू मेटन कलेश जी
थोड़ा थारा थोड़ा म्हारा
पोत उघाडन ने हारा
सुरसती ने भेंट है ऐ डंखला भालेस जी
(2)
ग्यान रो गुमारीयो हुया करता भाई जी
आखे दिन हांडता चिड़ता भोजाई जी
ढेलो नीं कमावता
ठाला बैठ्या खावतां
हथाया में बैठ बैठ ऊमर गमाई जी
(3)
नानी आलो धन पायो नित राड़ी छोगलों
बिना बातया राड़ रोप ओग लियो चोख्लो
रोज राखे घोचो
सोच रो हो ओछो
मावे क्यां में बापरो घिंटयाल हुयो फोगलो
(4)
साहब सूं सपनै में डरतो बाबू सुंदर तेलियो
बूट कोनी बाढ्तो मोकलो ही कैय लियो
डूजो कान धरियोड़ो हो
मांय लो मरियोड़ो हो
चरासण सुं जूत खाय रिटायर्मेंट लेलियो
***
बारै दुर्गन्ध मांय अमुझो
बारै दुर्गन्ध मांय अमुझो बंद करसी के खोलसी
जंग लाग्योड़ा ऐ दरुजा चर्ड़क चू तो बोलसी
कूड़े कथ स्यूं न्याय मिलैला
झूट रै कांटे साच तुलैला
न्याय रै आँख्या जद तक पटी
ताकरिया तो डोलसी जंग ......
ठडे सूं से ठाकर बनसी
बिना बात री मुन्छ्या तनसी
लूंठा री आ करड लड़ाई
जहर प्यालिया घोलसी जंग.......
धोला पिला गाभा धारया
पान करै मिनखा नै मारया
तने समझ के चोखो चारो
जाड बिचालै रोलसी जंग.......
समो बण्यो इसो कलिहारो
निबलो जीवे बैच जमारो
लूंठा डोको देय परा अब
नितरी छाती छोलसी जंग.....
***
भाटो भाटो भोमियो
भाटो भाटो भोमियो किण किण स्यूं डरू
किण रे चो डा बाकला किण रे पगां पडू
ठग ठाकर एखठा सींग तोल ऱ्या
दादोजी रै मुहं काका पीतर बोलऱ्या
बारलै भाचिडा टूटे दरूजा ऐ सहेर रा
सोधा टांगी बांस माथै लो आली पोलर्या
झोड़ रा झापिड लागै खुले म्हारे डील ने
कुमानसा रै बीच कई जबतो करू भाटो...
धोलती धिन्गानी फोज माजने ने पाड़ रेई
अड़वा भरोसे खेत खाय पूरो बाड़ रेई
नींद स्यूं नीं ओझकै किरसा री कोमड़ी
भींत नै भाचीड़ देय भीड़ पलो झाड़ रेई
पोतड़ा में पोत जावे किण री काण करू भाटो .....
लूट री है छुट अठै मच रेई रोल डट
गुलगुला उछाल देख चीला झंपे चटपट
भोपा री पंचायती ब्याव नै बिगाड़ नाख्यो
भानजा रे ब्याव में मासिया री सटपट
भैंस चुंगै बछड़ा पाडिया अरडावै है
बाळ दियो किसे ठिये च्याननो करू भाटो......
उजला तो कालमस आँख में खुबै
जोर कोनी पग्थ्ल्या कंकर चुभै
चालने तो चाल्ल्यु हद तोड़ डील री
पगा री रुखाली आला जुतिया खुबै
पैंडे री नीं थाह आँख्या में अंधारो है
पिंडी थक धूज रेई हंप्तो फिरू भाटो.......
***
हलू गलू रे भाई
हलू गलू रे भाई हलू गलू पुरो समदर तिन चलू
चुके मत चोहान लुट ले ओ सारो गुड गलू गलू
राम्तिया रिम्झोल करै बस साख बधावै पाटा री
बण निसरमा की नीं सोचै मन में फसतै फांटारी
दोया पासी डाम सामने बोल भायला कठै बलू हलू....
मारे पण रोवन नीं देवै मुहंडे पटी चेप परी
म्हारा बनगै म्हारा बेली बे म्हारे में भली करी
आगै भींत नै लारै गोधा बोल भायला कठै टलू हलू...
सालू सटै भैस मारदै बैच माजनो रात्यू रात
उंदर जान आपाने गटकै सिग्ली आ मिनक्या री ज़ात
ऐ बुगला साधू बन डोलै खाय माछली करै चलू हलू....
**
***********************************************
सत्यदीप
जन्म १ अप्रेल १९५८
वाणिज्य सनातक
प्रकाशन १- एक बूँद आंसू रो तर्पण १९८२
२- मांछल गंधा २००४
पुरस्कार
१-साहित्य सुधाकर सम्मान २००५, प्रवासी मारवारी यूवा सघ नेपाल
२- साहित्य सम्मान, ग्यान फौंदेशन बीकानेर
३-सहिया सम्मान लायन इंटर नॅशनल ग्रेटर
४-सहित्य सम्मान डॉ जयचाँद शर्मा समृति संस्था
५-संयोजन सम्मान आचर्य महाप्रज्ञ सम्मान समाहरोह समिति
६-संवाद सम्मान त्रिलोक शर्मा समृति संसथान
*************************************************
सभी कवितायेँ बहुत अच्छी लगी खासकर छेती और से सुण बर्बरीक
जवाब देंहटाएंghani khamma !
जवाब देंहटाएंchotki kavitaavaa mokli achchi laagi .satydeep jaa ne badhai .
saadar
proof ri bhool beshumar hai sa...............
जवाब देंहटाएंभाई सोनी जी, अंतरजाळ जगत में भाई सत्यदीप जी रो ओ पैलो प्रयास है, जल्दी ई कमियां ठीक करसां ।
जवाब देंहटाएं