पीणो सांप
चेतो
चेतोके थांरी छाती माथै
कुंडाळो घाल’र नासां सहारै
फण साध्यां
बैठो है पीणो सांप
पीवै, भासा, भरोसो अर सांस
पोछड़ी
जद ओ
पूछ रो फटकारो देय’र जावैला
तद थांनै देस अर
आजादी रो अरथ समझ में आवैला
हतभाग ! कै मोड़ो व्है जावैला
मोड़ो व्है जावैला !
***
चोथी आळी बांचणियां नै
कीं तो खायग्यो राज
कीं लिहाज
अर रह्यो-सह्यो खायगी चूंध’र खाज
-चौथी ओळी बांचणियै नै
जचै ज्यूं मांडो आज ।
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